आखिर क्यों पीले रंग में ही लिखे जाते हैं रेलवे स्टेशनों के नाम? वजह जान आप भी कहेंगे- क्या दिमाग लगाया बॉस

Prem Chand bhati
भारतीय रेलवे से हम सभी ने कभी न कभी सफर किया ही होगा. देश में करीब 7 हजार से अधिक रेलवे स्टेशन हैं, जिनसे हर रोज 20 हजार से अधिक ट्रेनें निकलती हैं और रोज करोड़ों लोग इससे सफर करत हैं. यह दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पूरे देश में सभी रेलवे स्टेशनों पर स्टेशन के नाम पीले बोर्ड पर ही क्यों लिखे जाते हैं? जी हां, अगर आपने कभी गौर किया हो तो रेलवे स्टेशन (Railway Station) के नाम हमेशा पीले साइन बोर्ड पर ही लिखे जाते हैं. इसके अलावा रेलवे स्टेशन पर मौजूद दूसरे निर्देश भी ज्यादातर पीले रंग के बोर्ड पर लिखे जाते हैं. क्या आपको इसके पीछे का कारण पता है. यह कोई संयोग नहीं है, बल्कि एक साइंस आधारित कारण भी इसके पीछे काम करता है. आइए जानते हैं इस बारे में सबकुछ.
पीले रंग में ही क्यों होते हैं रेलवे स्टेशन के नाम?
आपको बता दें कि पूरे देश में रेलवे स्टेशन (Railway Station) के नाम पीले रंग से लिखने के पीछे यह कारण है कि पीला रंग दूर से ही आपको आकर्षित कर लेता है. ऐसे में प्लेटफॉर्म की तरफ बढ़ रहे लोको पायलट को यह दूर से दिख जाता है. वहीं दिन और रात दोनों ही समय चमकदार पीला रंग काफी स्पष्ट रूप से दिखता है. जिस कारण ड्राइवर इसे दूर से ही देख लेते हैं और उन्हें ठहरने का सिग्नल मिल जाता है.
इसके अलावा ऐसा माना जाता है कि पीला रंग आंखों को सुकून भी देता है. जिससे भीड़भाड़ वाले स्थानों पर पीले रंग के साइन बोर्ड आपको थोड़ राहत देते हैं. वहीं यह लोको पायलट को सतर्क रहने की भी चेतावनी देता है. अगर लोको पायलट को प्लेटफॉर्म पर नहीं भी रूकना हो तो प्लेटफॉर्म में घूसने से लेकर निकलने तक हॉर्न बजाकर लोगों को सतर्क करता है.
रेलवे स्टेशनों (Railway Station) पर पीले बोर्ड पर केवल काले रंग से ही स्टेशन के नाम या दूसरे निर्देश लिखे जाते हैं. क्योंकि पीले रंग पर काले रंग के ही अक्षर ही सबसे ज्यादा दूर तक दिखाई देते हैं.

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