देश की वित्तीय स्थिति का विवरण देने वाली रिपोर्ट को आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) कहा जाता है। यह सर्वेक्षण वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है और वित्त मंत्री द्वारा संसद में प्रस्तुत किया जाता है। राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद वित्त मंत्री सर्वे रिपोर्ट सौंपती हैं। हर केंद्रीय बजट सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति के अभिभाषण से होती है।
आर्थिक सर्वेक्षण
- यह रिपोर्ट पिछले वित्तीय वर्ष में भारत के प्रदर्शन की व्याख्या करती है।
- यह सर्वेक्षण महंगाई दर पर विचार करता है।
- देश के प्रमुख क्षेत्रों जैसे कृषि, बुनियादी ढांचा और विदेशी मुद्रा भंडार में रुझान की जानकारी मिलती है।
- सरकार के सामने आर्थिक चुनौतियों को सूचीबद्ध करता है।
- चुनौतियों से पार पाने के लिए सुझाव देता है।
- यह जीडीपी ग्रोथ के अनुमान की जानकारी देता है।
आर्थिक मामलों का विभाग आर्थिक सर्वेक्षण तैयार करता है। यह विभाग वित्त मंत्रालय के अधीन कार्य करता है। भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार आर्थिक सर्वेक्षण की तैयारियों का पर्यवेक्षण करते हैं। भारत के वर्तमान मुख्य आर्थिक सलाहकार श्री अनंत नागेश्वरन हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण क्यों महत्वपूर्ण है?
सर्वेक्षण भारतीय अर्थव्यवस्था पर सांख्यिकीय डेटा प्रस्तुत करता है। यह डेटा नीति निर्माताओं के लिए महत्वपूर्ण है। वे डेटा का उपयोग यह पहचानने के लिए करते हैं कि वास्तव में सरकार की नीतियां कहां पिछड़ रही हैं और चीजों को बेहतर बनाने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए क्या किया जा सकता है।
आर्थिक सर्वेक्षण का इतिहास
पहला आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 में जारी किया गया था। प्रारंभ में, इसे केंद्रीय बजट के साथ प्रस्तुत किया गया था। 1964 में इसे बजट से अलग कर दिया गया। आर्थिक सर्वेक्षण के दो भाग होते हैं। पार्ट ए और पार्ट बी। पार्ट ए देश में आर्थिक स्थितियों का पूरा विवरण देता है। पार्ट बी व्यक्तिगत मुद्दों पर केंद्रित होता है।
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