Difference: Psychologist और Psychiatrist में क्या होता है अंतर, जानें ऐसे करें इस प्रोफेशन में एंट्री ऐसे करें इस प्रोफेशन में एंट्री

Prem Chand bhati

आज की जिंदगी में लोगों में तनाव और अवसाद जैसी बीमारियां निरंतर बढ़ रही हैं. लोग हंसना-खेलना तक भूलते जा रहे हैं और डिप्रेशन की वजह से आत्महत्या जैसे कदम उठाने से भी नहीं हिचकिचाते हैं.


अगर साधारण शब्दों में कहें तो जो स्टूडेंट्स एमबीबीएस की डिग्री रखते हैं, वे साइकेट्रिस्ट यानी मनोचिकित्सक बन सकते हैं. वहीं जो स्टूडेंट्स एमए अथवा एमएससी साइकोलॉजी की डिग्री रखते हैं, वे साइकोलॉजिस्ट यानी मनोवैज्ञानिक बन सकते हैं. दोनों ही प्रोफेशनल डॉक्टर हैं. बस फर्क इतना ही है कि साइकेट्रिस्ट मानसिक रोगों को दूर करने की दवा भी दे सकते हैं,लेकिन साइकोलॉजिस्ट को अभी तक यह अधिकार नहीं दिया गया है. 

वह मरीज की काउंसलिंग कर उसे अच्छे साइकेट्रिस्ट से दवा लेने का परामर्श अवश्य दे सकते हैं. वहीं क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट के रूप में करियर बनाने वाले स्टूडेंट्स के लिए रिहैबिलिटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया में रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी होता है. 

क्या होती है साइकोलॉजी

साइकोलॉजी को मनोविज्ञान कहा जाता है। 1800 के दशक के मध्य तक मन, भावनाओं, व्यवहार और मनोविज्ञान के अध्ययन को दर्शन(फिलोस्फी) की एक शाखा माना जाता था। इसमें लोगों के कार्यों और प्रतिक्रियाओं को प्रभावित करने वाले कारकों की जांच की जाती है। वहीं, रोगियों को ट्रामा(सदमा) से ठीक होने और उनके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करने के लिए विभिन्न प्रकार की चिकित्सीय तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता हैं, जिसे साइकोथैरेपी भी कहा जाता है। इस तरह से रोगियों का इलाज करने वाले लोगों को साइकोलॉजिस्ट कहा जाता है। साइकोलॉजिस्ट मनोरोगी को बातचीत या व्यवहार के माध्यम से उनकी मनोदशा बदलते हैं।

क्या होती है साइकेट्री

साइकेट्री को मनोचिकित्सा कहा जाता है। वहीं, इस पेशे में शामिल लोगों को साइकेटरिस्ट कहा जाता है। इसके शाब्दिक अर्थ की बात करें तो, इसका शाब्दिक अर्थ "आत्मा का चिकित्सा उपचार।" होता है। इसमें साइकेटरिस्ट को अपनी रोगी के दिमाग की बायलॉजिकल स्थिति पता होती है। वहीं, चिकित्सक साइकोथैरेपी के साथ-साथ दवाइयों के माध्यम से रोगी की मानसिक बीमारी को ठीक करते हैं। इसमें साइकेटरिस्ट को पता होता है कि मरीज का मर्ज किन दवाओं के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। साथ ही मर्ज को ठीक करने के लिए कितनी मात्रा में दवाओं की जरूरत है।

कैसे बनते हैं साइकोलॉजिस्ट

साइकोलॉजिस्ट बनने के लिए साइकोलॉजी में स्नातक की डिग्री, मास्टर डिग्री और डॉक्टरेट की डिग्री लेनी होती है। कई राज्यों में छात्र लाइसेंस प्राप्त करने और मरीजों का इलाज करने से पहले कुछ पोस्टडॉक्टोरल फेलोशिप भी लेते हैं। 

साइकोलॉजिस्ट बनने में कितने साल लगते हैं

एक लाइसेंस प्राप्त साइकोलॉजिस्ट बनने के लिए किसी भी व्यक्ति को अपने शैक्षणिक क्षेत्र में 7 से 10 साल तक लग जाते हैं। 

कैसे बनते हैं साइकेटरिस्ट

मनोचिकित्सक बनने के लिए छात्र को सबसे पहले अपनी MBBS की डिग्री पूरी करनी होती है। इसके बाद वे MD में दाखिला ले सकते हैं। मनोचिकित्सक औषधि विज्ञान, शरीर रचना विज्ञान, जीव विज्ञान, तंत्रिका विज्ञान और रोग का अध्ययन करते हैं। इसके साथ ही मनोरोगों को ठीक करने के लिए कौन सी दवाओं का कितनी मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है, इसका भी अध्ययन करते हैं।

साइकेटरिस्ट बनने में कितने लगता है समय

एक साइकेटरिस्ट बनने में एक छात्र को अपने शैक्षणिक जीवन में 10 साल से अधिक का समय लग जाता है। 

प्रैक्टिस में अंतर

साइकोलॉजिस्ट और साइकेटरिस्ट को अध्ययन करने के बाद अपने-अपने पेशे में प्रैक्टिस करनी होती है। ऐसे में साइकोलॉजिस्ट बातचीत व व्यवहार चिकित्सा के माध्यम से रोगी का इलाज करते हैं, जबकि साइकेटरिस्ट व्यवहार चिकित्सा के साथ दवाईयों के माध्यम से मनोरोगी को ठीक करते हैं।

कहां मिल सकती है नौकरी

आज मेट्रो सिटीज में साइकोलॉजिस्ट की डिमांड बढ़ने लगी हैं. डिप्रेशन से छुटकारा पाने के लिए लोग विशेषज्ञों की मदद ले रहे हैं. युवाओं में डिप्रेशन की शिकायत सबसे ज्यादा सामने आ रही है. इसमें कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट और नौकरीपेशा लोग भी शामिल हैं.

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