कन्हैया लाल माणक लाल मुंशी स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारत में एक प्रसिद्ध नेता थे। वे एक लेखक, शिक्षक और समाज सुधारक भी थे। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख सदस्य थे और उन्होंने अपना जीवन अपने देश की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। उन्हें भारतीय साहित्य और शिक्षा में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है।
▪️घनश्याम व्यास के नाम से प्रसिद्ध कन्हैयालाल माणकलाल मुंशी का जन्म 30 दिसंबर, 1887 को हुआ था।
▪️श्री अरबिंदो के प्रभाव में उनका झुकाव क्रांतिकारी समूह की ओर हुआ। लेकिन मुंबई में बसने के बाद, वे 'इंडियन होम रूल मूवमेंट' में शामिल हो गए तथा वर्ष 1915 में इसके सचिव बने।
▪️वर्ष 1927 में मुंशी बॉम्बे विधान सभा के लिए चुने गए, लेकिन 'बारदोली सत्याग्रह' के बाद उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया।
▪️उन्होंने वर्ष 1930 और वर्ष 1932 में 'सविनय अवज्ञा आंदोलन' में भाग लिया।
▪️वर्ष 1932 में मुंशी को गिरफ्तार कर लिया गया तथा उन्होंने दो वर्ष जेल में बिताए।
▪️मुंशी वर्ष 1937 के बॉम्बे प्रेसीडेंसी के लिए चुने गए तथा गृह मंत्री के रूप में उन्होंने बॉम्बे में सांप्रदायिक दंगों को दबाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
▪️वर्ष 1940 में 'व्यक्तिगत सत्याग्रह' में भाग लेने के बाद मुंशी को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया।
▪️उन्होंने वर्ष 1938 में 'भारतीय विद्या भवन' नामक एक शैक्षिक ट्रस्ट की स्थापना की।
▪️मुंशी कांग्रेस पार्टी के टिकट पर बंबई से संविधान सभा के लिए चुने गए थे। वह प्रारूप समिति सहित 16 समितियों और उप-समितियों के सदस्य थे।
▪️स्वतंत्रता के बाद उन्होंने वर्ष 1953 तक कृषि और खाद्य मंत्री के रूप में कार्य किया। कृषि मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने देश में वन क्षेत्र को बढ़ाने के लिए वन महोत्सव मनाने की पहल की।
▪️उन्होंने वर्ष 1953 से वर्ष 1957 तक उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के रूप में कार्य किया।
▪️वर्ष 1954 में उन्होंने गुजराती में ‘भार्गव’ नामक मासिक पत्रिका शुरू की।
▪️8 फरवरी, 1971 को 83 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई।