वृहस्पति सबसे ज्यादा चंद्रमा वाला ग्रह बन गया है ?

Prem Chand bhati

 ब्रह्मांड की कहानियां इतनी रोचक है कि हर वैज्ञानिक खोज के बाद ऐसा लगता है कि जैसे यह अंतिम खोज हो। लेकिन अगले ही कुछ महीनों में इस खोज को गलत सिद्ध करके कोई दूसरी खोज जगह ले लेती है। अब मौजूदा मामले में ही ले लीजिए … अभी तक शनि के सबसे ज्यादा उपग्रह थे लेकिन अब मौजूदा वक्त में वृहस्पति सबसे ज्यादा चंद्रमा वाला ग्रह बन गया है।


  1. सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले विभिन्न ग्रहों, धूमकेतुओं, उल्काओं और अन्य आकाशीय पिंडों के समूह को सौरमंडल कहते हैं। सौरमंडल के पूरे ऊर्जा का स्रोत सूर्य ही है। इस सौर मंडल में 8 ग्रह हैं - बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण। अंग्रेजी में कहें तो - Earth, Jupiter, Venus, Mercury, Saturn, Uranus, Neptune and Mars। यानी सूर्य या किसी अन्य तारे के चारों ओर परिक्रमा करने वाले खगोल पिण्डों को ग्रह कहते हैं।
  2. इन ग्रहों के उपग्रह भी होते हैं जो अपने ग्रहों की परिक्रमा करते हैं। प्राकृतिक उपग्रह या चन्द्रमा ऐसी खगोलीय वस्तु को कहा जाता है जो किसी ग्रह, क्षुद्रग्रह या अन्य वस्तु के इर्द-गिर्द परिक्रमा करता हो। उदाहरण के तौर पर हमारी पृथ्वी का उपग्रह चंद्रमा है। इस तरह से एक ग्रह के कई उपग्रह भी होते हैं। अभी तक सबसे ज्यादा उपग्रह यानी चंद्रमा शनि ग्रह के थे, लेकिन अभी हाल ही में 12 नए प्राकृतिक उपग्रहों की खोज की गई है। इसके बाद वृहस्पति सबसे ज्यादा चंद्रमा वाला ग्रह बन गया। जहाँ शनि के चक्कर लगाने वाले उपग्रहों की संख्या अभी 83 है वहीँ बृहस्पति के मामले में यह संख्या 92 पहुँच गयी है। वाशिंगटन में कार्नेगी इंस्टीट्यूशन फॉर साइंस के खगोलविद स्कॉट शेपर्ड के मुताबिक, बृहस्पति के 12 नए चंद्रमा खोजे गए हैं जिसके चलते बृहस्पति सबसे ज्यादा उपग्रहों वाला ग्रह बन गया है।
  3. बृहस्पति का चक्कर लगाने वाले इन 12 चंद्रमा में से 9 ऐसे हैं जो विपरीत दिशा में चक्कर लगाते हैं और अपनी कक्षा की दूरी तय करने में 550 दिन से अधिक का समय लेते हैं। वहीँ बचे हुए तीन बड़े चंद्रमा अपनी कक्षा की दूरी तय करने में 340 दिन का समय लेते हैं। इन चंद्रमाओं की खोज वर्ष 2021-22 में हवाई तथा चिली में दूरबीनों का उपयोग करके की गई थी, इन्हें अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के माइनर प्लैनेट सेंटर (MPC) की सूची में जोड़ा गया है। MPC अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के अंतर्गत काम करने वाली एक संस्था है जिसका काम वैश्विक लेवल पर उपग्रह, क्षुद्रग्रह और धूमकेतुओं से सम्बन्धित जानकारी एकत्रित करना है और उनकी कक्षाओं का अनुमान लगाकर इस सारी जानकारी को प्रकाशित करना है।
  4. बृहस्पति के बारे में और भी ज़्यादा जानकारी पता लगाने के लिए भविष्य में और भी मिशन लांच होने हैं जिनमें 2023 में European Space Agency का अंतरिक्षयान और 2024 में बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा का पता लगाने के लिये नासा का यूरोपा क्लिपर मिशन आदि प्रमुख हैं। यूरोपा क्लिपर मिशन बृहस्पति के चंद्रमा, “यूरोपा” की विस्तार से जानकरी इकट्ठी करेगा और जांच करेगा कि इस बर्फीले चंद्रमा में जीवन के लिए उपयुक्त परिस्थितियां हो सकती हैं या नहीं। दरअसल यूरोपा में लोहे की कोर, एक चट्टानी आवरण और खारे पानी का एक महासागर होने की संभावना है। हालाँकि, पृथ्वी के विपरीत, यूरोपा का महासागर संभवतः 10 से 15 मील के मोटाई वाली बर्फ के नीचे स्थित है, और इसकी अनुमानित गहराई 40 से 100 मील यानी 60 से 150 किलोमीटर है। अभी बृहस्पति के जो नए चंद्रमाओं की खोज हुई है ये यूरोपा क्लिपर मिशन की दृष्टि से महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं।
  5. आपको बता दें कि बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेप्च्यून को जोवियन ग्रह कहा जाता हैं, इनके बड़े होने के कारण इन्हें जोवियन या giant ग्रह कहा जाता है। ये सभी बड़े ग्रह सूर्य की काफी दूर से परिक्रमा करते हैं और इनकी सतह ठोस न होकर गैसीय है। साथ ही, इनके कई उपग्रह हैं। इनके वायुमंडल हाइड्रोजन, हीलियम, मीथेन और अमोनिया हल्की गैसों से बने हैं।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!