● सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त, 1904 को प्रयागराज जिले (उत्तर प्रदेश) के निहालपुर गाँव में हुआ था।
● वह प्रसिद्ध कवयित्री और स्वतंत्रता सेनानी थी।
● सुभद्रा कुमारी चौहान और उनके पति, वर्ष 1921 में असहयोग आंदोलन में शामिल हुए।
● सुभद्रा कुमारी चौहान नागपुर में गिरफ्तारी देने वाली पहली महिला सत्याग्रही थीं तथा वर्ष 1923 और वर्ष 1942 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के लिए उन्हें दो बार जेल जाना पड़ा था।
● सुभद्रा कुमारी चौहान ने हिंदी कविता में कई लोकप्रिय रचनाएँ लिखीं थीं। रानी लक्ष्मी बाई के जीवन का वर्णन करने वाली ‘झाँसी की रानी’, उनकी सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में से एक है।
● उनके द्वारा रचित वीरों का कैसा हो बसंत, राखी की चुनौती और विदा जैसी कविताएँ भी अत्यधिक देशभक्तिपूर्ण और प्रेरक थीं।
● सुभद्रा कुमारी चौहान का लेखन महिलाओं के सामने आने वाली कठिनाइयों पर केंद्रित था।
● उनका काम महिलाओं द्वारा सामना किए जाने वाले लैंगिक और जाति भेदभाव के बारे में उनकी चिंता को दर्शाता है। यह एक ऐसा मुद्दा जो वर्तमान में भी प्रासंगिक है।
● 15 फरवरी, 1948 को सुभद्रा कुमारी चौहान का निधन हो गया। हिंदी साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका को आज भी याद किया जाता है।
● सुभद्रा कुमारी चौहान की ‘झाँसी की रानी’ कविता का प्रथम छंद -
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥