आप सब ने समुद्र में या वॉटर पार्क में या टीवी पर आ रहे किसी वॉटर शो में अठखेलियां करतीं डॉल्फिंस को ज़रूर देखा होगा। इन डॉल्फिंस को ट्रेनिंग दी जाती है जिससे वो तरह-तरह के करतब दिखाती हैं और दर्शकों का मनोरंजन करती हैं। यूं तो ये बेहद शांत प्रवृत्ति की होती हैं, लेकिन मनुष्यों की विभिन्न गतिविधियों की वजह से कभी-कभी इनके व्यवहार में परिवर्तन देखने को मिलता है। अब आप ये सोच रहे होंगे कि आज डॉलफिन की बात क्यों की जा रही है? ऐसा इसलिए क्योंकि हाल ही में हुए एक रिसर्च के अनुसार समुद्र या विभिन्न जलराशियों में होने वाले ध्वनि प्रदूषण से इन डॉल्फिंस के व्यवहार में परिवर्तन देखने को मिला है। हम मनुष्यों द्वारा विकास के नाम पर फैलाये गए इस प्रदूषण से सभी जीव परेशान हो रहे हैं।
दरअसल हाल ही में पिछले हफ्ते करेंट बायोलॉजी में 'एन्थ्रोपोजेनिक नॉइस इम्पेयर्स को-ऑपरेशन इन बॉटलनोज़ डॉलफिन' नाम से एक जर्नल प्रकाशित हुआ था। इस जर्नल में बताया गया कि दो डॉल्फिंस पर रिसर्च किया गया। इन डॉल्फिंस को डेल्टा और रीस नाम दिया गया था। शोध के लिए इन डॉल्फिंस को एक लैगून में छोड़ दिया गया था। इनकी गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए इन पर रिकॉर्डिंग टैग्स लगाए गए थे। रिसर्चर्स ने देखा कि जब इस लैगून में अलग-अलग आवृत्ति की ध्वनियाँ उत्पन्न की गयीं तो इन डॉल्फिंस के व्यवहार में भी परिवर्तन होने लगा। पानी के अंदर ध्वनि की तीव्रता एक सीमा से अधिक होने पर डॉल्फिंस को एक दूसरे से कम्युनिकेट करने में दिक्कत होने लगी और उन्हें अपनी आवाज़ की तीव्रता बढ़ानी पड़ी। इसके अलावा उन्हें कम्युनिकेट करने के लिए एक दूसरे के और नज़दीक आना पड़ा, लेकिन फिर भी उन्हें एक दूसरे की बात समझने में समस्या हो रही थी। लगभग 200 बार इन डॉल्फिंस पर इस तरह का शोध किया गया तब रिसर्चर्स ने यह निष्कर्ष निकाला कि समुद्र में या बड़ी नदियों में चलने वाले समुद्री जहाजों, युद्धपोतों या सोनार से जो ध्वनियाँ उत्पन्न होती हैं वो इन जीवों के व्यवहार में परिवर्तन ला रहीं हैं और इनके जीवन के लिए कठिनाई उत्पन्न कर रहीं हैं।
हालाँकि यह हाल सिर्फ डॉलफिन का ही नहीं है, बल्कि बहुत सारे जलीय जीव समुद्र में मनुष्यों के हस्तक्षेप की वजह से परेशान हो रहे हैं। समुद्र में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण की वजह से जलीय जीवों की बॉडी लैंग्वेज और कार्य प्रणाली में परिवर्तन हो रहा है। इसके अलावा समुद्री जहाजों के क्षतिग्रस्त होने की वजह से अक्सर बड़ी मात्रा में प्रदूषण फैलता है। साल 2021 में उत्तरी जापान के बंदरगाह पर मालवाहक जहाज समुद्र तट से टकराकर दो हिस्सों में टूट गया था जिससे 24 किलोमीटर तक समुद्र की सतह पर तेल फ़ैल गया था और हज़ारों मछलियों की मृत्यु हो गयी थी। ऐसी दुर्घटनाएं अक्सर समुद्री जैव विविधता को नकारात्मक तरीके से प्रभावित करती हैं। और बढ़ते प्रदूषण के चलते किसी भी तरह के जलवायु संकट के आने पर सबसे पहले समुद्री पारितंत्र ही प्रभावित होता है। इसके अलावा द गार्जियन ने बताया कि हाल ही में लॉन्च किया गया एमवी गंगा विलास क्रूज, जो 'गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी प्रणालियों के साथ लगभग 50 पर्यटक और विरासत स्थलों पर रुकेगा', गंगा नदी डॉल्फ़िन के आवास को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है, जो पहले से ही संकट का सामना कर रहे हैं।
ऐसे में हमें इन जलीय जीवों और समुद्री पारितंत्र के प्रति और अधिक संवेदनशील होने की आवश्यकता है।