अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस: बहुभाषी शिक्षा के लिए एक उत्सव

Prem Chand bhati
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस
◆ संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा प्रतिवर्ष 21 फरवरी को मातृभाषा आधारित बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ‘अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस’ का आयोजन किया जाता है।
◆ यूनेस्को द्वारा 17 नवंबर, 1999 को ‘अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस’ की घोषणा की गई थी तथा वर्ष 2000 से संपूर्ण विश्व में इस दिवस का आयोजन किया जा रहा है।
◆ वर्ष 2023 के लिए इसकी थीम- ‘बहुभाषी शिक्षा - शिक्षा को बदलने की आवश्यकता’ है। 
◆ दुनिया में 7,000 से अधिक भाषाएँ हैं जबकि अकेले भारत में लगभग 22 आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त भाषाएँ हैं।
◆ 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने का विचार कनाडा में रहने वाले बांग्लादेशी रफीकुल इस्लाम द्वारा सुझाया गया था। 
◆ उन्होंने बांग्ला भाषा आंदोलन के दौरान ढाका में वर्ष 1952 में हुई हत्याओं को याद करने के लिए उक्त तिथि प्रस्तावित की थी।
◆ यह दिवस बांग्लादेश की एक पहल है तथा इसके द्वारा अपनी मातृभाषा (बांग्ला) की रक्षा के लिए किये गए लंबे संघर्ष को भी रेखांकित करता है।
◆ इस पहल का उद्देश्य विश्व के विभिन्न क्षेत्रों की विविध संस्कृति और बौद्धिक विरासत की रक्षा करना तथा मातृभाषाओं का संरक्षण करना एवं उन्हें बढ़ावा देना है।
◆ संयुक्त राष्ट्र (UN) के अनुसार, प्रत्येक दो हफ्ते में एक भाषा लुप्त हो जाती है और मानव सभ्यता अपनी संपूर्ण सांस्कृतिक एवं बौद्धिक विरासत खो रही है।
◆ वैश्वीकरण के कारण बेहतर रोज़गार के अवसरों के लिए विदेशी भाषा सीखने की होड़ मातृभाषाओं के लुप्त होने का एक प्रमुख कारण है।

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