भटनेर दुर्ग - हनुमानगढ़
- इसका निर्माण 286/295 ई./298ई./3वीं सदी में भूपत भाटी ने करवाया। यह राजस्थान का सबसे प्राचीन दुर्ग है इस दुर्ग में ईंटों का प्रयोग हुआ है।
- इस दुर्ग का शिल्पी-कैकया था।
- यह दुर्ग दिल्ली - मुल्तान मार्ग पर स्थित है।
- यह धान्वन दुर्ग की श्रेणी में आता है।
- इस दुर्ग को भाटियों की मरोड़ कहते है
- घग्घर नदी के किनारे स्थित इस दुर्ग को उत्तरी सीमा का प्रहरी कहते हैं।
- इस दुर्ग ने सर्वाधिक विदेशी आक्रमण सहे हैं।
- यह राजस्थान का दियाएकमात्र दुर्ग है जिसमें मुस्लिम महिलाओं ने भी जौहर।
- 479 ई. में गजनी के लोमणराज का पुत्र रेणसी लाहौर में चघताई. उजबेंग से हारकर भटनेर शासक जगस्वात मांडणीत से शरण ली जिससे चघताई उजबेग ने इस दुर्ग पर आक्रमण किया जिससे यहाँ साका हुआ।
- 1001 ई. में यहां मोहम्मद गजनवी का आक्रमण हुआ।
- 1206 में मोहम्मद गोरी के गर्वनर कुबाचा ने इस दुर्ग पर अधिकार कर लिया।
- 1210-36 ई. में इस दुर्ग पर दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश ने आक्रमण किया।
- तैमूर लंग (आक्रमण-1398) ने अपनी आत्मकथा तुजुक ए तैमूरी में इस दुर्ग को अपने जीवन का सबसे मजबूत दुर्ग बताया तथा यहां सबसे बड़ा कत्ले आम किया था। इस समय यहां का शासक दुलचन्द था। इस समय मुस्लिम महिलाओं ने भी जौहर किया जो राजस्थान में एकमात्र था।
- 1534 में हुमायू के भाई कामरान के आक्रमण के समय बीकानेर के शासक जैतसिंह का सेनापति खैतसी मारा गया।
- 1549 में ठाकुरसी राठौड़ का अधिकार हुआ।
- 1570 में इस दुर्ग पर अकबर का अधिकार हुआ लेकिन अकबर ने दुर्ग ठाकुरसी के पुत्र बाघा को सौंप दिया।
- 1597 ई. में अकबर के श्वसुर नसीर खां ने इस दुर्ग में किसी दासी से छेड़छाड़ की तब बीकानेर के रायसिंह के सामंत तेजा ने उसे मार
- 1805 में मंगलवार के दिन बीकानेर के सूरतसिंह ने भटनेर शासक जब्तासिंह भाटी को हराकर दुर्ग पर अधिकार कर इसका नाम हनुमानगढ़ कर दिया।
- इस दुर्ग में दिल्ली सुल्तान ग्यासुद्दीन बलवन के भाई शेर खां की कब्र तथा गुरु गोरखनाथ का मन्दिर है।