प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया के सबसे लम्बे रिवर क्रूज 'गंगा विलास” को वाराणसी से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह क्रूज वाराणसी की गंगा नदी से डिब्रूगढ़ की ब्रह्मपुत्र नदी तक जायेगा। यात्रा में भारत और बांग्लादेश के 5 राज्यों की 27 नदी प्रणालियों के द्वारा यह 3,200 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करेगा। इस क्रूज से यात्रा करने वालों को कला, संस्कृति, इतिहास और आध्यात्मिकता का भी अनुभव मिलेगा। इसकी 51 दिन की यात्रा में विश्व विरासत स्थलों, राष्ट्रीय उद्यानों, नदी-घाटों के दर्शन होंगे। गंगा विलास 62 मीटर लंबा और 12 मीटर चौड़ा है जो 1.4 मीटर के ड्राफ्ट के साथ चलता है। यात्रियों को बिहार के पटना, झारखंड के साहिबगंज, पश्चिम बंगाल के कोलकाता, बांग्लादेश के ढाका और असम के गुवाहाटी जैसे प्रमुख शहरों का नजारा भी देखने को मिलेगा। इसमें तीन डेक और 36 पर्यटकों की क्षमता वाले 18 सुइट हैं। यह प्रदूषण मुक्त प्रणाली और शोर नियंत्रण तकनीकों से लैस है। एमवी गंगा विलास की पहली यात्रा में स्विट्जरलैंड के 32 पर्यटक हैं। डिब्रूगढ़ में इसके आगमन की अपेक्षित तिथि 01 मार्च 2023 है।
यह वाराणसी में प्रसिद्ध "गंगा आरती" से रवाना होकर बौद्ध धर्म के केंद्र “सारनाथ” में रुकेगा। इसके बाद यह तांत्रिक विद्या के लिए प्रसिद्द, “मायोंग” क्षेत्र को कवर करते हुए सबसे बड़े नदी द्वीप और वैष्णव संस्कृति के केंद्र “माजुली” तक जाएगा। इसके यात्री “बिहार स्कूल ऑफ योगा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय” भी जाएंगे, जिससे उन्हें आध्यात्मिकता और ज्ञान की समृद्ध भारतीय विरासत से, रूबरू होने का मौका मिलेगा। यह क्रूज रॉयल बंगाल टाइगर्स वाले सुंदरबन के साथ-साथ एक सींग वाले गैंडों के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान से भी गुजरेगा। इस तरह के स्थलों की कवरेज के चलते इस क्रूज को पर्यटन को बढ़ावा देने वाली पहल माना जा रहा है।
इस क्रूज यात्रा से देश को होने वाले लाभ
वैश्विक रिवर क्रूज बाजार पिछले कुछ वर्षों में 5 प्रतिशत की दर से बढ़ा है और 2027 तक क्रूज बाजार के 37 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है। जिसके चलते पर्यटन की दृष्टि से यह पहल भविष्य के नए राजस्व स्त्रोत के रूप में भी देखी जा रही है। इससे अंतर्राज्यीय नदी मार्गों के चलन को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा। साथ ही बांग्लादेश के साथ कनेक्टिविटी भी बढ़ेगी और नार्थ ईस्ट के राज्यों से भी देश का संपर्क भी बढ़ेगा। जिसके चलते यह क्रूज 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' के उद्देश्य की भी पूर्ति करेगा।