ग्रीन कॉमेट (Green Comet) : डेली करेंट अफेयर्स

Prem Chand bhati

 अँधेरी रातों में तारों से भरा आकाश कितना रोमांचक लगता है न। लेकिन ये तो आप सभी जानते हैं कि आसमान में टिमटिमाते हुए सभी छोटे-छोटे पिंड तारे नहीं होते। इसमें कुछ तारे होते हैं तो कुछ ग्रह और कुछ उल्का पिंड या धूमकेतु। हालाँकि सामान्य आदमी के लिए दूर से देखने पर इसका पता लगा पाना बहुत मुश्किल काम है। इन आकाशीय पिंडों को कुछ विशेष प्रकार की दूरबीनों के द्वारा ही देखा जा सकता है। आमतौर पर नासा या इसरो जैसी अंतरिक्ष एजेंसियां ही इस प्रकार के पिंडों का अध्ययन करती हैं। लेकिन आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि हाल ही में एक दुर्लभ धूमकेतु हमारे सौरमंडल में दिखाई दिया है जिसकी तस्वीरें नासा और इसरो ने नहीं बल्कि कक्षा 10 के एक विद्यार्थी वेदांत ने ली है। वेदांत वाराणसी के सरायनंदन स्थित ग्लोरियस पब्लिक स्कूल में कक्षा 10 में पढ़ते हैं। उन्होंने इस दुर्लभ धूमकेतु की तस्वीर खींची है जिसकी नासा से लेकर हर अंतरिक्ष एजेंसियां तारीफ़ कर रहीं हैं।


इस धूमकेतु में ऐसा क्या ख़ास है?

युवा एस्ट्रोनॉमर वेदांत पांडेय ने जिस धूमकेतु की तस्वीर खींची है उसका नाम है - C-2-22E3 ZTF; इस धूमकेतु को दुर्लभ इसलिए माना जा रहा है, क्योंकि इस धूमकेतु को लगभग 50,000 वर्ष बाद देखा गया है और अब दोबारा इसे कब देखा जायेगा इसके बारे में कोई नहीं जानता। इस धूमकेतु को ग्रीन कॉमेट कहा जा रहा है, क्योंकि यह धूमकेतु हरे रंग का है और इसकी पूंछ बहुत लम्बी है। वेदांत ने टेलीस्कोप में अडॉप्टर से मोबाइल जोड़कर इसकी तस्वीर निकाली है। इसके लिए वेदांत टेलीस्कोप लेकर करीब 4 घंटे तक छत पर खड़े रहे। उन्होंने कहा कि इस धूमकेतु की ऑर्बिट इतनी बड़ी है कि कभी-कभी ये सौरमंडल की सीमाओं को भी क्रॉस कर जाती हैं।

बता दें कि धूमकेतु बर्फ,धुल और गैस के बने आकाशीय पिंड होते हैं जो सूर्य का चक्कर लगाते हैं। जब ये पिंड सूर्य के करीब पहुँचते हैं तो गर्म होकर इनकी गैसें सूर्य की विपरीत दिशा में आगे बढ़तीं हैं जोकि एक चमकीली पूंछ के रूप में दिखाई देती है, इसलिए इन पिंडों को पुच्छल तारा भी कहते हैं। वेदांत ने इस धूमकेतु की तस्वीर नासा के नियमों के अनुसार ली है। वेदांत पढ़ाई पूरी करने के बाद एस्ट्रोनॉट बनना चाहते हैं, जिसके लिए वे अभी से ही नासा की वेबसाइट से जानकारी लेते रहते हैं।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!