पृष्ठभूमि
⬧ असहयोग आंदोलन (1920 ई.-1922 ई.) – प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् उत्पन्न आर्थिक संकट, रॉलेट एक्ट, जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड, मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार से असंतोष असहयोग आंदोलन के प्रमुख कारण थे।
⬧ गाँधीजी ने कांग्रेस एवं खिलाफत समिति की माँगों को एक साथ लेकर अंग्रेजी सरकार से भारतीयों को संतुष्ट करने के लिए कोई नवीन योजना प्रस्तुत करने का आग्रह किया। सरकार द्वारा माँगें स्वीकार न करने पर असहयोग आंदोलन प्रारंभ करने की चेतावनी दी।
⬧ सरकार ने इनकी माँगों पद ध्यान नहीं दिया; गाँधी ने 1 अगस्त, 1920 से असहयोग आंदोलन प्रारंभ कर दिया।
⬧ सितम्बर, 1920 में लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में कलकत्ता में कांग्रेस का विशेष अधिवेशन हुआ, इस विशेष अधिवेशन में असहयोग आंदोलन का कार्यक्रम स्वीकार किया गया।
⬧ दिसम्बर, 1920 में विजय राघवाचार्य की अध्यक्षता में कांग्रेस का नागपुर में वार्षिक अधिवेशन हुआ, इस अधिवेशन में असहयोग के प्रस्ताव को दोहराया गया।
⬧ असहयोगात्मक कार्यक्रम – सरकारी उपाधियों एवं अवैतनिक पदों का त्याग, सरकारी उत्सवों का बहिष्कार, सरकारी स्कूल, कॉलेज एवं अदालतों का बहिष्कार, विदेशी वस्तु का बहिष्कार; इसके अतिरिक्त सरकारी नौकरी से त्यागपत्र एवं करों की अदायगी से इन्कार भी शामिल था।
⬧ रचनात्मक कार्यक्रम – राष्ट्रीय स्कूलों एवं कॉलेज की स्थापना झगड़ों को निपटाने के लिए पंचायतों की स्थापना, चरखों द्वारा निर्मित स्वदेशी वस्त्रों का प्रचार, हाथ से कताई एवं बुनाई को प्रौत्साहन देना, शराब बंदी, हिन्दु-मुस्लिम एकता, अस्पृश्यता का उन्मूलन आदि।
⬧ गाँधी के द्वारा ‘केसर-ए-हिन्द’ की उपाधि त्याग दी गई। जमनालाल बजाज ने ‘राय बहादुर’ की उपाधि त्याग दी। मोतीलाल नेहरु, चितरंजन दास, राजेन्द्र प्रसाद द्वारा वकालात छोड़ दी गई।
⬧ 17 नवम्बर, 1921 को ब्रिटिश युवराज प्रिंस ऑफ वेल्स के मुम्बई पहुँचने पर जनता ने इसके विरोध में जुलूस निकाला। मजदूरों ने कारखाने बंद कर हड़ताल घोषित कर दी। जगह-जगह पर प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई, जिसमें कई लोग मारे गए।
⬧ 1921ई. में 396 हड़तालें हुईं, जिनमें 6 लाख श्रमिक सम्मिलित हुए। 30 हजार से अधिक लोग गिरफ्तार हो चुके थे।
⬧ 1 फरवरी, 1922 को गाँधी ने वायसराय लॉर्ड रीडिंग को चेतावनी दी कि यदि सरकार ने एक सप्ताह के भीतर दमनचक्र बंद करते हुए आंदोलनकारियों को रिहा नहीं किया, तो वे बारदौली से सामूहिक सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करेंगे।
⬧ चौरी-चौरा काण्ड – 4 फरवरी, 1922 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर (देवरिया जिला RBSE कक्षा-12, 5 फरवरी, 1922) जिले के चौरी-चौरा नामक स्थान पर एक घटना घटी। चौरी-चौरा में शान्तिपूर्ण जुलूस को पुलिस ने दबाना चाहा, जिस कारण उत्तेजित भीड़ ने पुलिस को घेर लिया और उसमें आग लगा दी। इसमें 1 थानेदार एवं 21 सिपाही मारे गए। गाँधी ने इस घटना के कारण असहयोग आंदोलन को बंद करने का निर्णय लिया। 12 फरवरी, 1922 को बारदौली में कांग्रेस कमेटी की बैठक में गाँधी ने असहयोग आंदोलन को स्थगित करने की घोषणा कर दी।
⬧ जेल में बंद लाला लाजपतराय, चितरंजन दास एवं मोतीलाल नेहरु ने गाँधी के इस निर्णय का विरोध करते हुए एक पत्र लिखा।
⬧ सुभाषचंद्र बोस एवं जवाहर लाल नेहरु भी इस निर्णय से दु:खी हुए।