“कुछ लिख के सो, कुछ पढ़ के सो,
तू जिस जगह जागा सबेरे, उस जगह से बढ़ के सो।।“
▪️ भवानी प्रसाद मिश्र का जन्म 29 मार्च, 1913 को होशंगाबाद (मध्य प्रदेश) में हुआ था।
▪️ उनकी प्रारंभिक शिक्षा क्रमश: सोहागपुर, होशंगाबाद, नरसिंहपुर और जबलपुर में हुई।
▪️ भवानी प्रसाद मिश्र ने महात्मा गाँधी के विचारों से प्रेरित होकर शिक्षा देने के विचार से एक स्कूल खोला जिसके उपरांत वर्ष 1942 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
▪️ इनकी प्रमुख रचनाओं में ‘सतपुड़ा के जंगल’, ‘सन्नाटा’, ‘गीतफ़रोश’, ‘चकित है दु:ख’, ‘बुनी हुई रस्सी’, ‘खुशबू के शिलालेख’, ‘अनाम तुम आते हो’, ‘इदं न मम्’ आदि शामिल हैं।
▪️ गाँधीवाद पर आस्था रखने वाले मिश्र जी ने गाँधी वाङ्मय के हिंदी खंडों का संपादन कर कविता और गाँधी जी के बीच सेतु का काम किया।
▪️ भवानी प्रसाद मिश्र की कविता हिंदी की सहज लय की कविता है। इस सहजता का संबंध गाँधी के चरखे की लय से भी जुड़ता है इसलिए उन्हें ‘कविता का गाँधी’ भी कहा गया है।
▪️ मिश्र जी की कविताओं में बोल-चाल के गद्यात्मक-से लगते वाक्य-विन्यास को ही कविता में बदल देने की अद्भुत क्षमता है।
▪️ वर्ष 1972 में मिश्र जी को उनकी कृति ‘बुनी हुई रस्सी’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।
▪️ इसके अतिरिक्त अन्य अनेक पुरस्कारों के साथ-साथ इन्होंने भारत सरकार का ‘पद्म श्री’ पुरस्कार भी प्राप्त किया।
▪️ वर्ष 1983 में उन्हें मध्य प्रदेश शासन के शिखर सम्मान से अलंकृत किया गया।
▪️ 20 फरवरी, 1985 को भवानी प्रसाद मिश्र का देहांत हो गया।