भारतीय सेना ने हाल ही में अपने सेना कमांडरों के सम्मेलन (Army Commanders Conference – ACC) का आयोजन किया, जो 17-21 अप्रैल तक आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन में सेना के कमांडरों, सैन्य संचालन महानिदेशक और विभिन्न अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। यह पहली बार हाइब्रिड मोड में आयोजित किया गया था, जिसमें इन-पर्सन और वर्चुअल दोनों तरह की भागीदारी थी।
इस सम्मेलन का उद्देश्य सेना की परिचालन तैयारियों और आधुनिकीकरण योजनाओं की समीक्षा और चर्चा करना था। इस सम्मेलन के दौरान कई बड़े फैसले लिए गए, जिनमें ड्रोन, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और ड्रोन-विरोधी उपकरण से सम्बंधित फैसले लिए गये।
CCOSW
कमांड साइबर ऑपरेशंस एंड सपोर्ट विंग्स (CCOSWs) को सक्रिय करने का निर्णय ग्रे जोन की जरूरतों और साइबर युद्ध क्षमताओं के प्रकटीकरण को ध्यान में रखते हुए सेना कमांडरों के सम्मेलन के दौरान किया गया था। यह इकाई भारतीय सेना की साइबर सुरक्षा स्थिति को बढ़ाने के लिए आवश्यक साइबर सुरक्षा कार्यों को पूरा करने में सहायता करेगी।
TES मॉडल परिवर्तन
बी.टेक स्नातकों के रूप में अधिकारियों के प्रवेश के लिए Technical Entry Scheme (TES) मॉडल में बदलाव किया गया है। मौजूदा TES मॉडल को पांच साल के मॉडल से चार साल (3+1) मॉडल में बदल दिया गया है, नए TES मॉडल के तहत कैडेट ट्रेनिंग विंग्स (CTWs) में तकनीकी प्रशिक्षण की अवधि तीन साल है। नए टीईएस मॉडल के तहत IMA, देहरादून में बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा।
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