पिछले कुछ समय से अरीकोम्बन (Arikomban) नामक एक हाथी काफी सुर्खियाँ बटोर रहा है। दरअसल अरीकोम्बन (Arikomban) नाम का एक जंगली हाथी इडुक्की जिले की ऊंची पहाड़ियों में तबाही मचा रहा है। अरीकोम्बन चावल की दुकानों पर छापा मारने और अपने रास्ते में तबाही मचाने की आदत के लिए बदनाम है। पिछले कुछ वर्षों में, अरीकोम्बन ने कम से कम 10 लोगों को मौत के घाट उतार दिया और लगभग 60 घरों और दुकानों को नष्ट कर दिया। वन विभाग अरीकोम्बन को पकड़ने और उसे ‘कुम्की’ (kumki) के रूप में प्रशिक्षित करने की योजना लेकर आया है। कुम्की एक बंदी हाथी होता है जिसका इस्तेमाल दुष्ट हाथियों के खिलाफ ऑपरेशन के लिए किया जाता है।
याचिका
पीपल फॉर एनिमल्स – तिरुवनंतपुरम ने अरीकोम्बन को पकड़ने के वन विभाग के फैसले को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की। याचिकाकर्ता की दलील थी कि रेडियो-कॉलर लगाकर हाथी को जंगल के दूसरे स्थान पर छोड़ दिया जाए। हालाँकि, केरल उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने 29 मार्च तक अरीकोम्बन को पकड़ने के वन विभाग के फैसले पर रोक लगा दी थी।
अब इस हाथी को पेरियार टाइगर रिज़र्व के तहत मुल्लाकुड्डी फारेस्ट सेक्शन में छोड़ दिया गया है। इसकी लोकेशन की जानकारी हासिल करने के लिए इस हाथी पर सॅटॅलाइट रेडियो कालर लगाये गये हैं।
मिशन अरीकोम्बन
वन विभाग ने ‘मिशन अरीकोम्बन’ शुरू किया है, जो इस हाथी को पकड़ने के लिए एक अभियान है। इसे ट्रैंक्विलाइज़र शॉट्स के साथ पकड़ने और बाद में इसे एक हाथी प्रशिक्षण केंद्र में स्थानांतरित करने की योजना है। यह ऑपरेशन मूल रूप से 25 मार्च को शुरू होने वाला था। इस मिशन के लिए, वन विभाग ने 71 सदस्यों की एक त्वरित प्रतिक्रिया टीम बनाई है। मुख्य वन पशु चिकित्सा सर्जन अरुण जकारिया मिशन के लिए त्वरित प्रतिक्रिया दल के 11 समूहों का नेतृत्व कर रहे हैं।
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