स्टील से बनी देश की पहली सड़क (Country's First Road Made of Steel)

sohan bhati

 भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक देश है और यहाँ ठोस अपशिष्ट के रूप में लगभग 19 मिलियन टन इस्पात धातुमल यानी कचरा पैदा होता है। इतना ही नहीं ये साल 2030 तक बढ़कर 60 मिलियन टन हो जायेगा। कुल मिलाकर एक टन स्टील उत्पादन में लगभग 200 किलोग्राम स्टील कचरा पैदा होता है। अब जरा सोचिए कि अगर इतना कचरा पैदा होगा तो इस देश की क्या हालत होगी। तो सवाल उठता है कि इस कचरे का सबसे बेहतर इस्तेमाल कहां किया जा सकता है जिससे कि कचरा भी खत्म हो जाए और पर्यावरण को नुकसान भी ना हो। इसके अलावा, निस्तारण में आने वाला खर्च भी किफायती हो।


समस्या से निपटने के लिए केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (CRRI), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR), नीति आयोग, केंद्रीय इस्पात मंत्रालय और आर्सेलर मित्तल-निप्पॉन स्टील (AM/NS) द्वारा संयुक्त रूप से एक पहल किया गया। इसके तहत इन संस्थाओं ने मिलकर स्टील के इसी कचरे से सड़क बना डाली। पिछले साल, गुजरात के सूरत में स्टील स्टील स्लैग से बनी यह देश की पहली सड़क है। इस तरह सूरत भारत का पहला ऐसा शहर बन गया है जहां स्टील की सड़क बनाई गई है।

इस परियोजना को वेस्ट टू वेल्थ (Waste to Wealth) और स्वच्छ भारत अभियान पहल के तहत लागू किया गया है। इस एक किलोमीटर लंबी सड़क में छह लेन हैं और जिसकी मोटाई परम्परागत सड़क के मुक़ाबले 30 फीसदी कम है। प्रतिदिन 30 से अधिक भारी-भरकम ट्रक इस सड़क का उपयोग कर रहे हैं।

ग़ौरतलब है कि स्टील इंडस्ट्री के लिए मेटल वेस्ट को प्रोसेस करना एक बड़ी चुनौती है और अगर ये मेटल वेस्ट लैंडफिल में जाता है तो पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। ऐसे में जब इसका इस्तेमाल एक मजबूत सड़क के लिए किया जाता है तो यह एक साथ कई समस्याओं का समाधान बनकर सामने आता है। स्टील सड़क बनाने के लिए सबसे पहले स्टील प्लांट से निकले कचरे की गिट्टी बनाई जाती है। इसके बाद इन गिट्टियों का इस्तेमाल सड़क बनाने के लिए किया जाता है। स्टील वेस्ट से बनाई गई सड़कें आमतौर पर साधारण सड़कों से ज्यादा मजबूत होती हैं। साथ ही, ये मानसून के मौसम में होने वाले नुकसान से बचा सकती हैं।

इस तरह स्टील वेस्ट का वैकल्पिक इस्तेमाल सड़क बनाने में किए जाने से परिवहन और यातायात में बेहतरी की काफी उम्मीद जगी है। इसी के मद्देनजर गुजरात, झारखंड, महाराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश सहित देश के चार प्रमुख राज्यों में सड़क निर्माण में इस तकनीक का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है।

हाल ही में केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान द्वारा ‘वन वीक वन लैब’ नाम का एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते भी पहुंचे थे और उन्होंने बड़ी ही जोरदार तरीके से इस तकनीक की वकालत की।

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