इस साल का आधा मानसून सीजन बीत गया है। उत्तर भारत से लेकर देश के कई इलाकों में कहीं कम तो कहीं ज्यादा बारिश हुई। किसान और आम जन अभी भी धान की फसल के लिए बारिश का ही इन्तजार कर रहे हैं। चूँकि इस बार सितंबर से नवंबर के दौरान अलनीनो भारत में अपना प्रभाव दिखाने वाला था। जिसके चलते पहले से ही भारत में बहुत ज्यादा गर्मी और मानसून में सामान्य से कम बारिश भी होने की उम्मीद थी। इसके बाद भी इस बार 1 जून से 31 जुलाई के बीच 445.8 मिमी बारिश की अपेक्षा की गयी थी। जबकि असल में यह आँकड़ा 467 मिमी तक पहुंच गया है। इस तरह से अभी तक आंकड़ों में बारिश 5 प्रतिशत की अधिकता के साथ दर्ज की गई है।
सितम्बर से नवम्बर में जब अलनीनो भारत में अपना प्रभाव दिखाने वाला है, इसी दौरान पिछले सप्ताह ही हिंद महासागर डिपोल के इंडेक्स में चेंजेस दिखे हैं। ऑस्ट्रेलियाई मौसम विज्ञान ब्यूरो के मुताबिक Indian Ocean Dipole (IOD) इंडेक्स +0.34°C से +0.79°C तक बढ़ गया है। जिसका सीधा मतलब है September से November के बीच Positive IOD इवेंट बना रहेगा। जिससे भारत समेत श्रीलंका, नेपाल, भूटान, पूर्वी एशिया, मध्य और पश्चिम अफ्रीका, हॉर्न ऑफ अफ्रीका, दक्षिणी अलास्का, कैरेबियन और ला प्लाटा में नार्मल से ज्यादा बारिश होने की सम्भावना है। इसे आप इस तरह भी समझ सकते हैं कि भारत की दक्षिण-पश्चिम मॉनसून से होने वाली बारिश में अभी आगे बढ़ोतरी हो सकती है यानी इस पॉजिटिव आईओडी के डेवेलप होने से अलनीनों का प्रभाव कम हो जायेगा।
हिंद महासागर डिपोल (आईओडी) क्या है?
आईओडी असल में जलवायु से जुड़ी एक रीजनल घटना है। यह हिंद महासागर में घटित होती है। यह प्रशांत महासागर में बनने वाली एल नीनो के जैसी फेनोमेनन होती है जो समुद्र हो रहे तापमान के उतार-चढ़ाव को दिखाती है। इसीलिए इसे भारतीय एल नीनो कहा जाता है। हालाँकि यह हर उस कंट्री पर इम्पैक्ट डालती है जो हिन्द महासागर की तट रेखा से जुड़ी होती हैं। आईओडी दो तरह से घटित होता है। जिसमें एक होता है पॉजिटिव IOD और दूसरा होता है नेगेटिव IOD। पॉजिटिव IOD का मतलब होता है कि पश्चिमी हिन्द महासागर का टेम्परेचर ग़र्म होता है जबकि पूर्वी हिन्द महासागर का टेम्परेचर पश्चिम की तुलना में ठंडा हो जाता है। इस समय हवा पूर्व से पश्चिम की ओर चलती है और अफ्रीका के पूर्वी तट पर तापमान को ठंडा कर भारी बारिश करवाती है। इस बारिश और लो टेम्परेचर से इंडिया में भी काफी बारिश होती है। साल 2019 में इसी घटना से हुई बारिश ने अफ्रीका को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया था। जबकि इसी समय पूर्वी हिन्द महासागर के लो टेम्परेचर से इस तट से जुड़े एरिया में सूखा जैसा माहौल बन जाता है। साल 2019 में इसी समय ऑस्ट्रेलिया में बड़े पैमाने पर जंगल में लाग लगने की घटना सामने आयी थी। ठीक नेगेटिव IOD में पूर्वी तट गरम और पश्चिमी तट ठंडा हो जाता है। इससे स्थिति ठीक उलट हो जाती है और इंडिया और अफ्रीका में बारिश में कमी देखी जाती है।
ऑस्ट्रेलियाई मौसम विज्ञान ब्यूरो के अनुसार, 1960 के बाद से केवल 10 पॉजिटिव आईओडी की घटनाएं हुई हैं। इनमें से चार साल ऐसे थे जब मानसूनी बारिश में कमी थी, चार साल ऐसे थे जब बारिश में वृद्धि हुई थी और बाकी दो साल में सामान्य बारिश का ही माहौल बना रहा।
IOD की खोज साल 1999 में की गयी थी। जिसके बाद की स्टडीज ने यह भी दिखाया कि IOD बनने का सबसे कारण कार्बोब डाई ऑक्साइड का बड़ी मात्रा में वायुमंडल में इकट्ठा होना है। जिसका सीधा मतलब है कि CO2 बढ़ने से IOD की घटना की फ्रीक्वेंसी और इसकी विनाशकारी प्रवृति भी बढ़ेगी।