इसरो ने आदित्य L1 मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च किया

Prem Chand bhati

 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 1.5 मिलियन किलोमीटर की दूरी से सूर्य का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन की गई वेधशाला, आदित्य L1 अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक लॉन्च करके एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है। लॉन्च में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) का उपयोग किया गया।

आदित्य L1 धीरे-धीरे अपने अंतिम गंतव्य तक पहुंचने के लिए क्रमबद्ध तरीके से चढ़ेगा, इसका गंतव्य पृथ्वी से 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर, L1 बिंदु के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा है। इस मिशन का उद्देश्य सूर्य के बाहरी वातावरण, विकिरण, कणों और चुंबकीय क्षेत्रों पर अद्वितीय डेटा प्रदान करना है।

आदित्य L1 अंतरिक्ष यान का क्या महत्व है?

आदित्य L1 इसरो द्वारा 1.5 मिलियन किलोमीटर की सुरक्षित दूरी से सूर्य का अध्ययन करने के लिए विकसित एक वेधशाला है। इसमें सूर्य की विभिन्न तरंग दैर्ध्य, विकिरण, कणों और चुंबकीय क्षेत्रों का निरीक्षण करने के लिए डिज़ाइन किए गए उपकरणों का एक सेट है। इस मिशन का उद्देश्य सूर्य के व्यवहार और पृथ्वी पर इसके प्रभावों की व्यापक समझ हासिल करना है।

आदित्य L1 अंतरिक्ष यान को कैसे लॉन्च किया गया और उसकी कक्षा में कैसे स्थापित किया गया?

अंतरिक्ष यान को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) का उपयोग करके लॉन्च किया गया था। इस मिशन में एक अनोखा अभ्यास शामिल था जहां PSLV के चौथे चरण को अंतरिक्ष यान को उसकी अण्डाकार कक्षा में सटीक स्थिति में लाने के लिए दो बार फायर किया गया था, जो जटिल कक्षीय अभ्यास में इसरो की क्षमता को प्रदर्शित करता है।

लॉन्च के बाद आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान का पथ क्या होगा?

अंतरिक्ष यान को धीरे-धीरे अभ्यासों की एक श्रृंखला के माध्यम से L1 बिंदु के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में ले जाया जाएगा, जो पृथ्वी से 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर है। इस स्थिति से यह सूर्य की गतिविधियों और घटनाओं का अवलोकन करेगा।

Categories: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी करेंट अफेयर्स

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