विश्वकर्मा योजना 17 सितंबर को पूरे भारत में 70 स्थानों पर लॉन्च की जाएगी। लाल किले में स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान घोषित इस पहल का उद्देश्य पारंपरिक शिल्प कौशल में कुशल व्यक्तियों को लाभ पहुंचाना है। इस योजना का उद्घाटन सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में केंद्रीय मंत्रियों द्वारा किया जाएगा, जिसमें देशभर से 70 मंत्री भाग लेंगे। अगले पांच वर्षों में, यह कार्यक्रम श्रमिक वर्ग के लिए जमीनी स्तर के कल्याण पर ध्यान केंद्रित करते हुए 13,000 करोड़ रुपये का व्यय आवंटित करेगा।
विश्वकर्मा योजना का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
विश्वकर्मा योजना एक पहल है जिसका उद्देश्य पारंपरिक शिल्प कौशल में कुशल व्यक्तियों को सशक्त बनाना है। इसका प्राथमिक उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में श्रमिकों को वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण और कल्याण सहायता प्रदान करना है।
विश्वकर्मा योजना से पारंपरिक श्रमिकों को क्या लाभ होगा?
पहले चरण में श्रमिकों को 5% ब्याज दर पर एक लाख रुपये का ऋण मिलेगा, इसके बाद दूसरे चरण में दो लाख रुपये का ऋण मिलेगा। यह वित्तीय सहायता मोची, धोबी, बढ़ई और अन्य लोगों के लिए है।
यह योजना कारीगरों और मजदूरों के प्रशिक्षण और विकास का समर्थन कैसे करती है?
विश्वकर्मा योजना में कारीगरों और मजदूरों को प्रशिक्षण देने के प्रावधान के साथ-साथ प्रशिक्षुओं के लिए 500 रुपये का दैनिक वजीफा भी शामिल है।
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