दुनिया की पहली बिना हाथ वाली महिला तीरंदाज (World’s first armless woman archer)

Prem Chand bhati

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के सुदूर गांव लोई धार में जन्मी शीतल देवी के जन्म से ही दोनों हाथ नहीं हैं। अभी शीतल सोलह साल की है। डेढ़ साल पहले ही सेना के एक अधिकारी ने माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड तीरंदाजी अकादमी के कोच कुलदीप वेदवान को शीतल के बारे में बताया। कुलदीप कुमार ने शीतल से अकादमी में आने और अन्य लोगों को शूटिंग करते हुए देखने के लिए कहा। बस यहीं से शीतल की तीरंदाजी का शौक जगा। जिसने न केवल उन्हें दुनिया की पहली बिना हाथ वाली महिला तीरंदाज बनाया बल्कि हाल ही में चेक गणराज्य में पैरा-तीरंदाजी विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक भी दिलाया।

शीतल के बारे में उनके कोच और सहयोगी बताते हैं कि उनके लिए तीरंदाजी शुरू करना ही काफी चुनौतीपूर्ण रहा। शीतल की सबसे अच्छी बात यह थी कि जब वह अकादमी आईं और दूसरे पैरा तीरंदाजों को तीरंदाजी करते देखा तो वह इस खेल के लिए तैयार हो गईं। जिसके बाद बिना हाथों के तीरंदाजी सिखाने के लिए उन्हें दुनिया के पहले बिना हाथों के पुरुष तीरंदाज अमेरिका के मैट स्टुट्जमैन के वीडियो दिखाए गए।

इसके बाद मैट जब भारत आये तब उन्होंने शीतल से मुलाकात की। इस समय उन्होंने शीतल का धनुष भी देखा। उन्होंने इनके धनुष में कुछ चेंजेस के सजेशंस भी दिए। जिसके बाद उनके लिए अकादमी में एक विशेष धनुष तैयार कराया गया। इन सब प्रयासों के चलते वह छह माह के अंदर ही वह निपुण तीरंदाज बन गईं। यहां तक वह पैरा के अलावा आम तीरंदाजों के साथ खेलने लगीं।

कोच अभिलाषा के मुताबिक चेक रिपब्लिक में शीतल ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय पैरा टूर्नामेंट खेला था। जिसमें उन्होंने दो रजत और कांस्य जीते। जबकि पेरिस पैरालंपिक की क्वालिफाइंग विश्व चैंपियनशिप में उनका प्रदर्शन काफी शानदार रहा है।

शीतल अपने बारे में कहती है कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह तीरंदाजी करेंगी। उनके लिए यह अभी भी सपने जैसा ही है। जब उन्होंने तीरंदाजी शुरू की थी तो वह बिना हाथों वाली दुनिया की पहली महिला तीरंदाज बनी थी। हालाँकि अब पूरी दुनिया में बिना हाथ के कुल छह तीरंदाज आ चुके हैं।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!