रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी ने विभीषण से विवाह करने के कई कारण थे। ऐसा माना जाता है कि राम-रावण के युद्ध एक मात्र विभिषण को छोड़कर उसके पूरे कुल का नाश हो गया था।
रावण की मृत्यु के पश्चात रावण के कुल के विभीषण और कुल की कुछ महिलाएं ही जिंदा बची थी। युद्ध के पश्चात मंदोदरी भी युद्ध भूमि पर गई और वहां अपने पति, पुत्रों और अन्य संबंधियों का शव देखकर अत्यंत दुखी हुई। फिर उन्होंने प्रभु श्री राम की ओर देखा जो आलौकिक आभा से युक्त दिखाई दे रहे थे। श्रीराम ने लंका के सुखद भविष्य हेतु विभीषण को राजपाट सौंप दिया।
कहते हैं कि अद्भुत रामायण के अनुसार विभीषण के राज्याभिषेक के बाद प्रभु श्रीराम ने बहुत ही विनम्रता से मंदोदरी के समक्ष विभीषण से विवाह करने का प्रस्ताव रखा,
राजनीतिक कारण: मंदोदरी एक बुद्धिमान और दूरदर्शी महिला थीं। उन्हें पता था कि लंका को एक मजबूत नेता की जरूरत है। विभीषण एक नीतिज्ञ और प्रशासक थे। वह एक अच्छे राजा बन सकते थे। मंदोदरी ने सोचा कि विभीषण से विवाह करने से लंका को एक मजबूत नेतृत्व मिलेगा।
सामाजिक कारण: मंदोदरी एक विधवा थीं। उस समय के समाज में, विधवाओं को एक सामाजिक कलंक माना जाता था। मंदोदरी को एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी जो उसे सामाजिक रूप से सम्मान दे सके। विभीषण एक धर्मपरायण और सज्जन व्यक्ति थे। मंदोदरी को विश्वास था कि विभीषण उसे एक अच्छा पति बनाएंगे।
व्यक्तिगत कारण: मंदोदरी रावण की पत्नी और विभीषण रावण के भाई थे। दोनों में अच्छी समझ थी। मंदोदरी को विभीषण की बुद्धिमत्ता और करुणा पसंद थी। वह सोचती थी कि विभीषण से विवाह करने से उसे एक अच्छा जीवनसाथी मिलेगा।
इन सभी कारणों से, मंदोदरी ने विभीषण से विवाह करने का फैसला किया। मंदोदरी और विभीषण का विवाह एक शांतिपूर्ण और धार्मिक समारोह में हुआ था। इस विवाह से लंका में शांति और समृद्धि आई।