नई दिल्ली. भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी और केन्या एयरपोर्ट के बीच डील को लेकर आवाज उठाने वाले व्हिसलब्लोअर नेलशन अमेन्या ने खुद की जान को खतरा बताया है. उन्होंने कहा कि जबसे उन्होंने अडानी की कंपनी और केन्या के सबसे व्यस्त एयरपोर्ट में शामिल नैरोबी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के बीच गुपचुप हुई डील का खुलासा किया है, देश की सुरक्षा एजेंसियां पीछे पड़ गई हैं. नेलशन ने अपने खिलाफ शारीरिक हिंसा का भी खतरा बताया और कहा कि अब उनकी जान भी खतरे में है.
अमेन्या ने बताया कि उन्हें कई तरफ से परेशान किया जा रहा है. अडानी और केन्या के बीच डील का खुलासा करने के बाद आपराधिक जांच निदेशालय ने नेलशन पर कार्बन क्रेडिट फर्म चलाने और फेक क्रिप्टोकरेंसी बेचने का आरोप लगाया है. इस पर नेलशन ने कहा कि वह किसी तरह का क्रिप्टो नहीं बेचता और न ही उनकी वेबसाइट से कोई ट्रांजेक्शन हुआ है. उन्होंने सिर्फ डील का खुलासा किया है, क्योंकि अभी वह फ्रांस में पढ़ाई कर रहे हैं
कहा, अगर आप केन्या में हैं…
नेलशन ने कहा, ‘अगर आप केन्या में हैं तो पुलिस और मिशनरीज के निशाने पर होंगे. आपकी जान को खतरा भी हो सकता है.’ उन्होंने आरोप लगाया कि मेरे पास फ्रांस तक में विरोधी पहुंच चुके हैं और अब शारीरिक प्रताड़ना का खतरा मंडराने लगा है. नेलशन ने कहा, ‘मुझे पता है कि मैं सुरक्षित नहीं हूं और फ्रांस में भी कभी भी उठाया जा सकता है. फिलहाल मैं फ्रांस की पुलिस के सामने अपनी शिकायत करने के बारे में सोच रहा हूं.’
सुरक्षा एजेंसियों ने भी मानी गलती
केन्या की एंट्रीकरप्शन यूनिट ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की प्रमुख शेला मशिंदे ने कहा कि यह सच में चिंता का विषय है. हम देखते हैं कि केन्या में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को प्रताड़ना झेलनी पड़ती है. इतना ही नहीं उन्हें फिजिकली टॉर्चर करने के साथ अपहरण और कानूनी धमकियों तक का सामना करना पड़ता है. इस पर भी आलम ये है कि व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन बिल पिछले 11 साल से लंबित पड़ा है. नेलशन ने यह काम जनता के हित में किया है और उसे शारीरिक व कानूनी सुरक्षा की जरूरक्या थी डील, जिसने फैलाया रायता
क्या थी डील, जिसने फैलाया रायता
आपको बता दें कि केन्या के सबसे बिजली एयरपोर्ट में शामिल नैरोबी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अक्सर बिजली कटौती छत टपकने की शिकायत मिलती थी. इसे सुधारने के लिए अडानी समूह ने 1.82 अरब डॉलर (करीब 16 हजार करोड़ रुपये) निवेश करने का प्रस्ताव दिया था. इसके तहत अडानी समूह को इस एयरपोर्ट में 18 फीसदी हिस्सेदारी अगले 30 साल के लिए मिलनी थी. नेलशन के खुलासे के बाद वित्तमंत्री ने भी पाया था कि एयरपोर्ट अथॉरिटी ने सिर्फ एक दिन में ही डील फाइनल कर दी थी, जबकि इसमें किसी और बोलीदाता को शामिल ही नहीं किया गया था.त है.