मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने 7 अक्टूबर को दिल्ली आने की संभावना एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक घटनाक्रम है। मुइज्जू का यह दौरा भारत और मालदीव के बीच द्विपक्षीय संबंधों में एक नया अध्याय खोल सकता है, खासकर ऐसे समय में जब हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा और आर्थिक मुद्दों पर ध्यान बढ़ रहा है।
मुइज्जू की भारत यात्रा के प्रमुख बिंदु:
भारत-मालदीव संबंधों में मजबूती:
- भारत और मालदीव के बीच ऐतिहासिक रूप से घनिष्ठ संबंध रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कुछ उतार-चढ़ाव देखे गए, खासकर मालदीव की आंतरिक राजनीति और चीन के बढ़ते प्रभाव के चलते। मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद यह दौरा दोनों देशों के रिश्तों को पुनः मजबूत करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
सुरक्षा और सामरिक मुद्दे:
- हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के मद्देनजर, भारत के लिए मालदीव एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है। इस दौरे में दोनों नेता समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी प्रयासों और क्षेत्रीय स्थिरता पर चर्चा कर सकते हैं।
आर्थिक और विकास सहयोग:
- भारत मालदीव का एक प्रमुख विकास साझेदार है और कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में सहायता प्रदान करता रहा है। इस दौरे में आर्थिक सहयोग को और बढ़ाने, व्यापार और निवेश के नए अवसरों पर चर्चा होने की संभावना है।
चीन के प्रभाव को संतुलित करना:
- मालदीव में चीन का बढ़ता प्रभाव भारत के लिए चिंता का विषय रहा है। मुइज्जू का भारत दौरा एक संकेत हो सकता है कि मालदीव अपने संबंधों में संतुलन बनाना चाहता है और भारत के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों को और मजबूत करना चाहता है। यह भारत की "नेबरहुड फर्स्ट" नीति के तहत एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक सफलता मानी जा सकती है।
क्षेत्रीय शांति और स्थिरता:
- यह यात्रा हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के व्यापक लक्ष्य के अनुरूप है। भारत और मालदीव मिलकर समुद्री सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों पर सहयोग कर सकते हैं, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं।