ऑनलाइन की दुनिया में गूगल हर जगह है. हर रोज़ गूगल पर करोड़ों सवाल पूछे जाते हैं. गूगल दुनिया की बड़ी कंपनियों में से एक बन गई है.
गूगल शुरू में उसूलों और उस हिसाब से काम करने के दावे करती थी.
लेकिन इस साल अमेरिका की एक अदालत ने कहा कि बाज़ार में अपनी बड़ी मौजूदगी का गूगल कंपनी ग़लत फ़ायदा उठा रही है और इस कारण दूसरी कंपनियों का टिकना असंभव हो गया है.
जज जल्द ही फ़ैसला सुनाएंगे कि गूगल कंपनी को क्या सजा दी जाए?
कई लोगों का मानना है कि गूगल इतनी बड़ी और शक्तिशाली कंपनी हो गई है कि उसे नियंत्रित करना बहुत मुश्किल है.
गूगल का राज
गूगल इंटरनेट की दुनिया में इस कदर फैला हुआ है कि अब यह सोचना भी मुश्किल है कि गूगल से पहले इंटरनेट पर सर्च कैसी होती थी.
पुलित्ज़र पुरस्कार विजेता पत्रकार डेविड वाइज़ ने गूगल को शुरू से फलते- फूलते देखा है और वो गगूल के इतिहास पर आधारित किताब ‘गूगल स्टोरी’ के लेखक भी हैं.
वो कहते हैं कि स्टैनफ़र्ड यूनिवर्सिटी में पीएचडी के दो छात्र लैरी पेज और सर्गेइ ब्रिन इंटरनेट सर्च की क्वालिटी से ख़ुश नहीं थे इसलिए उन्होंने गूगल सर्च इंजन बनाया.
डेविड वाइज़ ने कहा, “90 के दशक के आख़िरी सालों के दौरान गूगल से पहले याहू सर्च और अल्टाविस्टा सर्च मौजूद थे. उन पर सर्च के रिज़ल्ट आने में काफ़ी समय लगता था और जो सर्च रिज़ल्ट आते थे उसमें विज्ञापन होते थे. विज्ञापन और रिज़्लट के बीच फ़र्क करना मुश्किल हो जाता था. इन दोनों ने गूगल सर्च इंजन बना कर इंटरनेट सर्च को तेज़ और विश्वसनीय बनाया. उन्होंने इंटरनेट पर उपलब्ध वेब पन्नों को उनके महत्व के अनुसार रैंक किया या श्रेणी में ढाला जो पहले किसी ने नहीं किया था.”
उनका मक़सद कोई कंपनी बनाना या व्यापार करना नहीं था बल्कि केवल इंटरनेट पर सर्च को बेहतर बनाना था.
डेविड वाइज़ के अनुसार- वो इस सर्च इंजन को स्टैनफ़र्ड यूनिवर्सिटी को बेच कर अपनी पीएचडी पूरी करना चाहते थे, लेकिन उसे कोई ख़रीदना नहीं चाहता था. सभी ने कहा कि सर्च का कोई महत्व नहीं है. याहू और डिजीटल इक्वीपमेंट ने उनके सर्च इंजन को ख़रीदने से इंकार कर दिया. कोई उसे पांच लाख डॉलर में ख़रीदने को भी तैयार नहीं था. ना ही उसे और विकसित करने के लिए निवेश करने को राज़ी था.
मगर फिर सन माइक्रोसिस्टिम के संस्थापक एंडी बेक्टेलशाइन ने गूगल सर्च इंजन को आज़मा कर देखा और वो उससे काफ़ी प्रभावित हुए. उन्होंने लैरी पेज और सर्गेइ ब्रिन को एक लाख डॉलर का चेक थमा दिया.
डेविड वाइज़ कहते हैं कि व्यापार के लिए यह काफ़ी नही था इसलिए अधिक निवेश के लिए लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन सिलिकॉन वैली गए, जहां क्लाइनर पर्किंस ने एक करोड़ डॉलर और सुकाय कैपिटल कंपनी ने भी एक करोड़ डॉलर निवेश कर दिया.
लेकिन अब इस व्यापार को चलाने के लिए लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन को विज्ञापनों की ज़रूरत थी.
हालांकि कि वो शुरू से ही विज्ञापनों के ख़िलाफ़ थे.
डेविड वाइज़ ने बताया, ''जब लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन छात्र थे, तब वो विज्ञापनों को बहुत बुरा मानते थे और गूगल सर्च इंजन पर विज्ञापन नहीं देना चाहते थे. मगर विज्ञापनों के बिना व्यापार को आगे बढ़ाने की कोई अन्य योजना भी उनके पास नहीं थी.''
वो बोले, ''तब इसराइली उद्योगपति योसी बार्ड ने उन्हें कहा कि वो गूगल पेज पर एक नीली लाइन खींच दें जिसके एक तरफ़ सर्च के रिज़ल्ट होंगे और दूसरी ओर विज्ञापन होंगे. इससे लोग आसानी से रिज़ल्ट और विज्ञापनों में फ़र्क कर पाएंगे. उन्होंने इस तकनीक का इस्तेमाल किया और इसी के साथ गूगल सर्च इंजन से आगे बढ़ कर एक बड़े उद्योग में तब्दील होने लगा.''
अब गूगल पेज के दाहिने हिस्से में आने वाले विज्ञापनों से कंपनी अरबों डॉलर कमाती है. अब विज्ञापन देने वाली कंपनियां यह भी जान सकती हैं कि कौन उनका विज्ञापन देख रहा है और उनमें से कितने लोग उनके उत्पाद ख़रीद रहे हैं.
गूगल कंपनी विज्ञापनों के ज़रिए सालाना 200 अरब डॉलर कमाती है.
डेविड वाइज़ ने कहा, “जब गूगल कंपनी शुरू की गयी थी तो उसका सिद्धांत साफ़ था कि बुराई से दूर रहें. वो ईमानदारी और नैतिकता के साथ व्यापार करना चाहती थी. उसका उद्देश्य लोगों तक सभी जानकारी उपलब्ध कराना था. लेकिन जैसे जैसे कंपनी बढ़ती गयी उसके लिए अपने नैतिक सिद्धांत पर अड़े रहना मुश्किल होता चला गया.”