SC: एमसीडी स्थायी समिति के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट सख्त; एलजी से पूछा- इतनी भी क्या जल्दी थी?

Prem Chand bhati

 


सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के 6वें सदस्य के चुनाव को चुनौती देने वाली मेयर और आप नेता शेली ओबेरॉय की याचिका पर भी सुनवाई की। कोर्ट ने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के कार्यालय से जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को दो सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय से एमसीडी स्थायी समिति के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव नहीं कराने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि अगर आप एमसीडी स्थायी समिति के अध्यक्ष के लिए चुनाव कराते हैं तो हम इसे गंभीरता से लेंगे। कोर्ट ने एमसीडी स्थायी समिति के सदस्य के लिए चुनाव कराने में दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय के अत्यंत जल्दबाजी करने पर भी सवाल उठाए।

कोर्ट ने दिल्ली उपराज्यपाल कार्यालय से कहा कि अगर आप चुनाव कराने के लिए एमसीडी अधिनियम के तहत कार्यकारी शक्ति का उपयोग करना शुरू कर देंगे तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा। इसके बाद कोर्ट ने एमसीडी स्थायी समिति के हालिया चुनाव के खिलाफ महापौर शैली ओबेरॉय की याचिका पर दिल्ली उपराज्यपाल कार्यालय से जवाब मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को दो सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया है। 

कोर्ट ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और आर महादेवन की पीठ ने उपराज्यपाल कार्यालय से कहा कि जब तक वह 27 सितंबर को होने वाले स्थायी समिति के चुनावों के खिलाफ मेयर शेली ओबेरॉय की याचिका पर सुनवाई नहीं कर लेती, तब तक स्थायी समिति के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव न कराए जाएं। पीठ ने उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय जैन से कहा कि यदि आप एमसीडी स्थायी समिति के अध्यक्ष के लिए चुनाव कराते हैं तो हम इसे गंभीरता से लेंगे।

'आप चुनावी प्रक्रिया में कैसे बाधा डाल सकते हैं?'
पीठ ने कहा कि शुरू में वह इस याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं थी, लेकिन उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 487 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करने के फैसले के कारण उसे नोटिस जारी करना पड़ा। पीठ ने उपराज्यपाल कार्यालय से पूछा कि यदि आप डीएमसी अधिनियम की धारा 487 के तहत कार्यकारी शक्तियों का उपयोग करना शुरू करते हैं तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा। आप चुनावी प्रक्रिया में कैसे बाधा डाल सकते हैं। पीठ ने उपराज्यपाल कार्यालय से दो सप्ताह में जवाब मांगा और मामले की सुनवाई शीर्ष अदालत के दशहरा अवकाश के बाद तय की।

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